

यह मेला करीब एक पखवारे तक चलता है और रक्षाबंधन के दिन समाप्त हो जाता है। सावन मेले में आने वाले श्रद्धालु सावन की रिमझिम फुहारों के बीच घूम-घूम कर झूलों में विग्रहों को झुलाते हैं। इस दौरान धार्मिक नगरी अयोध्या की छटा देखते ही बनती है। चारों ओर सावन में गाये जाने वाले लोकगीत, कजरी की गीत सुनाई देती है। पूरे सावन में मंदिरों में दोनों समय भगवान राम के विग्रहों को झुलाये जाने की परम्परा है। मणिपर्वत में पडऩे वाले झूलों में विग्रहों के अलावा छोटे-छोटे बच्चों को भी सीताराम के रूप में सजा कर झुलाया जाता है। इस दौरान देश के विभिन्न अंचलों से कई लाख श्रद्धालु अयोध्या आते हैं।
उनमें से ज्यादातर ग्रामीण अंचलों के हैं। श्रद्धालु मंदिरों में जाकर भगवान राम को रिझाने के लिये सावन के गीत गाते हुए नाचते हैं। अपर जिलाधिकारी/मेलाधिकारी ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच सरयू नदी में लगभग पन्द्रह लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर मंदिरों में दर्शन पूजन किया। पुलिस अधीक्षक (नगर) संकल्प शर्मा ने बताया कि मेले के दौरान कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।