नई दिल्ली। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने गंगा किनारे के क्षेत्रों में बसे लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे लोकसभा सदस्यों से ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय सहयोग देने का अनुरोध किया है। भारती ने कल रात अपने आवास पर गंगा तट से जुड़े सांसदों की एक बैठक की और उनसे गंगा की सफाई में सक्रिय मदद करने का आह्वान किया है।
बैठक में मौजूद सांसदों ने नमामि गंगे कार्यक्रम की सराहना की और कई सांसदों ने अपने क्षेत्रों में इस कार्यक्रम के तहत विशेष परियोजनाएं शुरू करने की मांग की, जबकि कुछ सांसदों का सुझाव था कि उनके क्षेत्र में परियोजना शुरू करने से पहले उनके साथ विचार विमर्श किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने सांसदों के इस सुझाव का स्वागत करते उन्हें भरोसा दिया कि उनको विश्वास में लिए बिना उनके क्षेत्र में कोई काम शुरू नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मैं अपने सभी अधिकारियों को निर्देश देती हूं कि वह आगे से इस बात का ध्यान रखें किसी भी सांसद को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए कि उनका क्षेत्र छूट गया। सांसद मनोज तिवारी के गंगा के किनारे बसे क्षेत्रों के लोकगीत गायक और संगीतकारों को एकत्र करके गंगोत्री से गंगा सागर तक उनके कार्यक्रम आयोजित करने के सुझाव पर सहमति जताई और कहा कि अगले छह माह के भीतर वे इस कार्यक्रम के लिए वह उन्हें फिर आमंत्रित करेंगी और उस दौरान इस कार्यक्रम के तहत हुए कार्याें की समीक्षा भी करेंगी।
आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में गंगा के सभी पहलूओं का ध्यान रखा गया है जिसमें प्रदूषण निवारण, गंगा की अविरलता, जैव विविधता और उसके आसपास की वनस्पतियों का संरक्षण शामिल है। भारती ने कहा कि विश्व बैंक ने भी हमारी इस योजना की यह कहकर प्रशंसा की है कि दुनिया में पहली बार किसी भी नदी की संरक्षण की योजना इतनी समग्रता के साथ तैयार की गई है।
भारती ने कहा कि‘‘यदि मुझे प्रधानमंत्री जी से अनुमति मिल गई तो मेरी गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करने की इच्छा है ताकि मैं स्वयं प्रत्येक स्थान पर कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा कर सकूं, लोगों से हाथ जोडक़र विनती कर सकूं कि वे इस कार्यक्रम को सफल करने में अपना सहयोग दें। मंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में जनता, सरकार और समाज की बराबर की भागीदारी है।
उन्होंने कहा कि सरकार नदी के किनारे एसटीपी लगा देगी, घाट बना देगी, जीव जंतुओं के एक बार संरक्षण की व्यवस्था कर देगी। सरकार का प्रयास तो एक बार होता है लेकिन उस प्रयास की निरंतरता को बनाए रखना जनता और समाज की जिम्मेदारी है। भारती ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम आजादी के बाद देशवासियों द्वारा गंगा में फैलाए गए प्रदूषण का प्रायश्चित है।
उन्होंने कहा कि मैं हमेशा बोलती हूं कि नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा के ऊपर एहसान नहीं है। बल्कि आजादी के बाद गंगा नदी के साथ जो खिलवाड़ हुआ, गलत तरीके से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण हुआ, जिससे कि गंगा मैली हुई, यह उस पाप का प्रायश्चित है जो हम करेंगे और आने वाली पीढिय़ों को एक निर्मल गंगा अमूल्य धरोहर के रूप में सौंप कर जाएंगे।