Home Crimes Against Hinduism मंदिर की प्रतिमा हटाने और कब्जा करने का आरोप – दैनिक भास्कर

मंदिर की प्रतिमा हटाने और कब्जा करने का आरोप – दैनिक भास्कर

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मंदिर की प्रतिमा हटाने और कब्जा करने का आरोप – दैनिक भास्कर
थाने में एक व्यक्ति ने एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ समीपवर्ती तीर्थ स्थल धवाली आश्रम की मूर्ति हटाने और जबरन मंदिर की गद्दी पर कब्जा करने की रिपोर्ट दी। मामला छारसा के संत छीतरदास जी से जुड़ा होने के चलते पांच ग्रामों के ग्रामीणों ने भी इस व्यक्ति के खिलाफ थाना पहुंचकर कार्रवाई की मांग की।

 

पुजारी मोहनदास ने बताया कि धवाली आश्रम दिवगंत संत किशनदास की तपोस्थली रही है। उनके शिष्य छीतरदास एवं मंदिर संरक्षक के पास मंदिर के निर्माण कार्य, देखरेख एवं अन्य दिशा निर्देश जारी करने की जिम्मेवारी है। छीतरदास ने करीब 25 वर्ष पहले इस स्थान पर राधाकृष्ण की मूर्ति की स्थापना कराई थी। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को भक्तों की और से पैदल परिक्रमा की जाती है। फाल्गुन की त्रयोदशी को मेला, पदयात्रा, रात्रि जागरण और भंड़ारा होता है। 15 अप्रैल को मोहनलाल किसी काम से छारसा धाम गए हुए थे। उनके पीछे से कुछ लोगों ने इस स्थान से राधाकृष्ण की मूर्ति को कटवा कर हटा दिया। निम्बार्क संप्रदाय के प्रतीक चिह्न तिलक और मूर्ति के सामने स्थित आसन को भी हटा दिया गया।

जानकारी मिलने पर मंदिर संरक्षक छीतरदास को जानकारी दी तो वे ग्रामीणों के साथ मंदिर परिसर पहुंचे। उन्होंने मूर्ति हटाने वाले से शांतिपूर्वक बातचीत कर दोबारा से प्राण प्रतिष्ठा करवाने का आश्वासन दिया था। चार माह बीत जाने पर भी मूर्ति हटाने वाले व्यक्ति ने मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नहीं कराई। बल्कि मंदिर पर जबरन कब्जा करने की नियत से चादरपोशी कार्यक्रम 21 अगस्त काे रखा है। पांच ग्रामों के लोग इस घटना पर कार्रवाई करने के लिए मनोहरपुर थाने पहुंचे और मूर्ति तोड़ने और षंडयत्र पूर्वक कब्जा करने का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की। थाने में छारसा सरपंच सीताराम पांड़ला, पूर्व उपप्रधान शिम्भू लॉम्बा, जाट महासभा के अध्यक्ष रोहिताश चौधरी, भरताराम गुर्जर, हनुमान सहाय फौजी सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

मंदिरमें रााधकृष्ण की मूर्ति 25 वर्ष पहले मैंने ही विधिवत पूजा अर्चना के स्थापित कराई थी। इस मूर्ति को करीब चार माह पहले अज्ञात व्यक्ति ने अपने मूल स्थान से हटा दिया। इस मूर्ति को अपने प्रारम्भिक मूल स्थान पर ही स्थापित किया जाना चाहिए।  -छीतरदास,संत छारसा धाम